यह मुसाफ़िर घड़ी दो घड़ी रुक जाना चाहता है November 30, 2017January 27, 2018 Neha2 Comments जाओ दुनिया के काफ़िले से जाके कह दो, यह मुसाफ़िर घड़ी दो-घड़ी रुक जाना चाहता है ।
यह ज़िन्दगी हमसे आशना न रहती… November 30, 2017December 1, 2017 Neha6 Comments अगर दिल की बात होठों तक भी आ जाती तो--यह ज़िन्दगी हमसे आशना न रहती ।
मैं ख़ुद को भुला नहीं पाती… November 29, 2017November 30, 2017 Neha2 Comments ख़ुद से ख़दी के अहसास को हटाऊँ तो कैसे ?
ऐ कारवान-ए-ज़िन्दगी November 29, 2017December 7, 2017 Neha4 Comments ऐ कारवान-ए-ज़िन्दगी, तू बख़्श दे इस नाचीज़ को, तुझ पर सवार होने वाले तो आगे और भी मिल जाएँगे ।
दिल की आग November 28, 2017 NehaLeave a comment जलती है आग जिनके दिलों में उनकी आँखें, दूसरों के दिलों में भी आग भड़का जाती हैं ।
एक कविता November 27, 2017November 27, 2017 Neha4 Comments कई दिनों से मन में, एक कविता अधूरी-सी थी...
आज संपूर्णता से मिलन का दिन है November 7, 2017November 30, 2017 Neha1 Comment इन पेड़ों को देखो, महसूस करो इनका रोयाँ-रोयाँ आज आनंदित है, आज वर्षा के चुंबन का दिन है आज संपूर्णता से मिलन का दिन है ।
एक मसीहे की दुआ November 6, 2017November 28, 2017 NehaLeave a comment आदमी को हैवान से इंसान बनाना है मुश्किल, न जाने कितने मसीहा आए और ख़ाली हाथ चले गए ।