है छुपा किसी बदली के पीछे मेरा चाँद भी...
Month: December 2017
क़िस्मत
ज़रूर फूटी क़िस्मत लेकर आए होंगे हम इस दुनिया में-- जहाँ-जहाँ सुख की चाह की वहाँ दुख ही दुख नसीब हुआ ।
मयख़ाना
ख़ुशनसीब और बदनसीब
ख़ुशनसीब हैं वे जिन्हें अभी भी मंज़िल साफ़ नज़र आती है...