ख़ुशनसीब और बदनसीब

ख़ुशनसीब हैं वे जिन्हें अभी भी मंज़िल साफ़ नज़र आती है

जिनके दिल में ख़ुशी की चाह की तड़प अभी भी ताज़ी है,

सोचते हैं जो की ज़िन्दगी कामयाबियों का सिलसिला है एक

ख़ुशनसीब हैं वे जिनकी दुनिया में आस अभी भी बाक़ी है ।

 

हम जैसे बदनसीब तो बिना मंज़िल जाने सफ़र तय करते हैं

और दिल में हमारे मरी हुई आरज़ुओं के शव सड़ते हैं,

सोचते हैं हम कि यू जीने से तो मरना ही बेहतर होता है शायद

हम जैसे बदनसीब तो उम्मीद भी उधार में लेकर जीते हैं ।

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