है छुपा किसी बदली के पीछे मेरा चाँद भी
करती है रौशन मेरी दुनिया को जिसकी चाँदनी
है अभी गुमनाम पर आएगा जिस दिन पूरे ज़ोर पर
सारे जहान में फैल जाएगी मेरी भी रौशनी
है छुपा किसी बदली के पीछे मेरा चाँद भी
ख़ींचता है जो मुझे जैसे हूँ एक लहर आब की
है जुड़ गया है जिसकी क़ूवत से क़िस्मत का धागा मेरा
चमकेगा उसके साथ ही आसमान में मेरा नाम भी