जो ख़ुमारी में काटते हैं दिन अपने
और रातों को सो न पाते हैं
जाके कह दो उनसे कि यह इश्क़-विश्क़ कुछ नहीं
है बस फ़ितूर-ए-ज़हन यह, न कि मंज़ूर-ए-ख़ुदा है ।
जो ख़ुमारी में काटते हैं दिन अपने
और रातों को सो न पाते हैं
जाके कह दो उनसे कि यह इश्क़-विश्क़ कुछ नहीं
है बस फ़ितूर-ए-ज़हन यह, न कि मंज़ूर-ए-ख़ुदा है ।
Wahhh👌👌👌
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Shukriya!
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जाके कह दो उनसे कि यह इश्क़-विश्क़ कुछ नहीं
है बस फ़ितूर-ए-ज़हन यह, न कि मंज़ूर-ए-ख़ुदा है ।
bagut acchi line!!”
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Shukriya!
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