आज अश्कों की रफ़्तार से अशआर बह रहे हैं
देखो तमाम दर्द-ए-दिल काग़ज़ पर उतरा जा रहा है
एक दिन जब हम नहीं होंगे तो ये शेर ही शायद
याद दिलाके हमारी उस पत्थर-दिल को थोड़ा पिघला देंगे
आज अश्कों की रफ़्तार से अशआर बह रहे हैं
देखो तमाम दर्द-ए-दिल काग़ज़ पर उतरा जा रहा है
एक दिन जब हम नहीं होंगे तो ये शेर ही शायद
याद दिलाके हमारी उस पत्थर-दिल को थोड़ा पिघला देंगे