जब आतिश-ए-इश्क़ में यह रूह ही हमारी, दहक-दहककर ख़ाक हो जाएगी एक दिन, तो फिर जहन्नुम का डर किसको है-- जहन्नुम तो महबूब के क़दमों में ही लिखा है ।
Month: January 2018
कभी वे हमसे, कभी हम उनसे
कभी वे हमसे, कभी हम उनसे ख़फ़ा-ख़फ़ा से रहते हैं
है हक़ीक़त वह बला
है हक़ीक़त वह बला जिससे पीछा छुड़ाना है मुश्किल