कल रात-भर आपके ख़याल ने हमें न छोड़ा
कितना हसीन वह ख़्वाब था
जिसे भोर हमने आँसुओं में बहाके तोड़ा
क्या कशिश थी क्या चुभन थी क्या तड़पन थी प्यार की
वह थी एक शब-ए-जन्नत, जो हमारी मिलन की रात थी
पर देख हमें ख़्वाबीदा जो आपने अपना रुख मोड़ा
तभी वह रात विदा हुई और भोर ने वह हसीन ख़्वाब तोड़ा
कल रात-भर आपके ख़याल ने हमें न छोड़ा
कितना हसीन वह ख़्वाब था
जिसे भोर हमने आँसुओं में बहाके तोड़ा
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