भरोसा रख ऐ दिल
ख़ुद पर और ज़िन्दगी पर —
ये संघर्ष के दिन भी बीत जाएँगे ।
खुल जाएँगी सड़कें एक बार फिर
उनपर लोग वापस उमड़ आएँगे ।
हो जाएगी चहल-पहल फिर से इर्द-गिर्द
दोस्तों के साथ मिलकर हम फिर जश्न मनाएँगे ।
दुनिया में आना और दुनिया से जाना
यह हमारे हाथ में कब था ?
जो चले गए हैं हमारे बीच से वे फिर एक दिन
वापस हमारे बीच लौट आएँगे ।
आए हैं संकट कई बार पहले भी
मची है तबाही सर-ए-आम पहले भी
पर है इंसान की फ़ितरत में गिरकर सँभलना
तो ये डगमगाते क़दम भी जल्द सँभल जाएँगे ।
भरोसा रख ऐ दिल
ख़ुद पर और ज़िन्दगी पर —
ये संघर्ष के दिन भी बीत जाएँगे ।
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