गुज़र चुके हैं जुनून-ए-इश्क़ से कई बार मगर
दोस्ती का सुकून बरसों बाद मिला है
अंगारों पर चल-चलकर जो ज़ख़्म बटोरे थे
आज एक अरसे बाद उनपर मरहम लगा है
गुज़र चुके हैं जुनून-ए-इश्क़ से कई बार मगर
दोस्ती का सुकून बरसों बाद मिला है
अंगारों पर चल-चलकर जो ज़ख़्म बटोरे थे
आज एक अरसे बाद उनपर मरहम लगा है