रख देते आज हाल-ए-दिल खोलके हम अपना कि महबूब ने इन लबों पे हाथ रखके लफ़्ज़ों को रोक दिया...
Category: Love Poetry
कम्बख़्त ग़म
है रूठी मेरी मोहब्बत मुझसे, मेरी रूह भी, मेरा ख़ुदा भी... बस ये कम्बख़्त ग़म ही हैं वफ़ादार, जो रूठने का नाम नहीं लेते ।
मोहब्बत
अगर न हो मोहब्बत आपकी रज़ा-ए-ख़ुदा में शामिल तो क्या कीजिए ?
पागल बना छोड़ा
अगर हमसे न करनी थी मोहब्बत तो ज़ालिम, हमसे यूँ मुलाक़ातें न की होतीं, कि तेरी नज़दीकियों ने हमें ग़ाफ़िल और दूरी ने पागल बना छोड़ा ।
तो फिर क्या बात थी
कहते हैं वो कि अब न रखेंगे हमसे कोइ राब्ता--पर अगर कहने पे मोहब्बत होती तो फिर क्या बात थी...
मैं इस खोज में हूँ
आदि से अंत तक, इस चलायमान संसार में, जो स्थिर है वह क्या है? मैं इस खोज में हूँ...
नाइंसाफ़ी यह
आपसे मिलने के इंतज़ार में यूँ तड़प रहा है हमारा दिल कि गोया आपके हिस्से का दर्द भी हमें हो रहा है...
जवाब-ए-शिकवा
कहते हैं सब मुझे बेहिस-ओ-बेरहम, मग़रूर हूँ मैं यह है उनका वहम...
शमा
महबूब और शमा
महबूब हमारे आजकल शमा से जला करते हैं...