हुई भोर और शंख बजे और ध्वज सबके लहराए, कुरुक्षेत्र में, धर्मयुद्ध में आर्यावर्त्त के शूर लड़ने आए ।
Category: Spiritual Poetry
मैं इस खोज में हूँ
आदि से अंत तक, इस चलायमान संसार में, जो स्थिर है वह क्या है? मैं इस खोज में हूँ...
है हर जगह और सबसे क़रीब भी
एक अहसास है जो उभरता है, और उभरते ही खो जाता है, एक आवाज़ कहीं अंदर उठती है, और उठते ही ख़ामोश हो जाती है...
मैं हूँ वह
जवाब-ए-शिकवा
कहते हैं सब मुझे बेहिस-ओ-बेरहम, मग़रूर हूँ मैं यह है उनका वहम...