आतिश-ए-इश्क़ January 5, 2018January 5, 2018 Neha3 Comments जब आतिश-ए-इश्क़ में यह रूह ही हमारी, दहक-दहककर ख़ाक हो जाएगी एक दिन, तो फिर जहन्नुम का डर किसको है-- जहन्नुम तो महबूब के क़दमों में ही लिखा है ।
जुनून-ए-इश्क़ December 16, 2017December 15, 2017 Neha2 Comments ख़ुदा के बंदों के हाथों में जीना, मरना और इश्क़ करना कब था ?
इज़हार के इंतज़ार में December 9, 2017December 5, 2017 Neha1 Comment एक तरफ़ा इश्क़ के कारोबार के लिए दिलदार हमसे बड़ा चाहिए ।