रख देते आज हाल-ए-दिल खोलके हम अपना
कि महबूब ने इन लबों पे हाथ रखके लफ़्ज़ों को रोक दिया
ख़ुदा जाने क्या ताक़त थी उनकी आँखों में
कि एक नज़र से ही जस्बातों के सैलाब का रुख मोड़ दिया
रख देते आज हाल-ए-दिल खोलके हम अपना
कि महबूब ने इन लबों पे हाथ रखके लफ़्ज़ों को रोक दिया
ख़ुदा जाने क्या ताक़त थी उनकी आँखों में
कि एक नज़र से ही जस्बातों के सैलाब का रुख मोड़ दिया
मैं जब भी कुछ याद करने कि कोशिश करता हूं
ना जाने क्यों हर बार तुम्हारी ही सूरत नज़र आ जाती है…………
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Nicely written
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दिल से लिखते हो
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Thanks!
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Kya baat 🙂 keep going
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वाह !
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Damn bruh, damn! ❤️
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Superb poetry
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